रुट कैनाल उपचार (RCT), जिसे नसों का इलाज भी बोलते हैं या दांतों की नसें काटना भी कहा जाता है।
यह उपचार तब किया जाता है जब दांतों की सड़न दांतों की नसों तक पहुँच जाती है और उसे सिर्फ फिलिंग कर के बचा पाना नामुमकिन हो जाता है।
इस स्तिथि में मरीज को दांतों में काफी दर्द होता है और ज़्यादा गंभीर परिस्तिथि में दर्द के साथ सूजन और दांतों और मसूड़ों से मवाद भी आ सकता है।
यह एक काफी गंभीर परिस्तिथि है और इससे मरीज की जान भी जा सकती है। इस हालत में दन्त चिकित्सक के पास दो ही विकल्प होते हैं। एक की वो दन्त को निकाल दे और दूसरा उसकी रुट कैनाल कर दे। रुट कैनाल में दांत के अंदर ऊपर से एक सूराख बनाकर दांत की नसें निकाल देते हैं और उसके अंदर जड़ों तक मसाला भर देते हैं।
रुट कैनाल के बाद आम तौर पर दांत का दर्द कुछ दिनों में ठीक हो जाता है और सूजन भी ठीक हो जाती है। आप अपने दन्त चिकित्सक से चमत्कार की उम्मीद न करें, वह एक डॉक्टर है, जादूगर नहीं। दन्त चिकित्सक ने कितना भी अच्छा काम किया हो पर इलाज का असर होने में हफ्ते से दो हफ्ते का समय लग सकता है। और जिस दांत की रुट कैनाल हो रही हो वह दांत काफी कमजोर हो जाता है इसलिए को चाहिए की वह उस दांत का ज़्यादा ख्याल रखे और जब तक उसपर कैप न लग जाए उससे कुछ भी न चबाये। कई बार दांत अंदर से इतना खोखला हो जाता है की वह बिना चबाये सिर्फ दुसरे दांत से टकराने मात्र से टूट जाता है।
रुट कैनाल उपचार के बाद दांत से दर्द तो आम तौर पर हफ्ते दस दिन में बिलकुल ठीक हो जाता है परन्तु दांत काफी कमज़ोर हो जाता है। दांत के टूटने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। इसलिए मरीज को चाहिए की जल्द से जल्द अपने दांत पर कैप लगवा ले। कैप लगने के बाद दांत के टूटने का खतरा काफी कम हो जाता है। परन्तु इसका अर्थ ये बिलकुल भी नहीं है की आप दांतों की देखभाल करना छोड़ दें।
जब हमने डॉक्टर दिशा से इस बारे में पुछा तो उन्होंने हमें बताया की रुट कैनाल के बाद भी अगर दांतों की अच्छी देखभाल ना की जाए तो दांत में फिर से इन्फेक्शन यानि संक्रमण हो सकता है जिससे दुबारा से रुट कैनाल करने की ज़रुरत पर सकती है। उन्होंने बताया की रुट कैनाल जितनी बार दुहराया जाए उतना दांत की उम्र कम होती है। इसलिए मरीज को चाहिए की वो दांतों की इतनी अच्छी देखभाल करे की दुबारा कभी रुट कैनाल की ज़रुरत ही न पड़े।
डॉ दिशा ने बताय की कई बार रुट कैनाल प्रक्रिया के दौरान दांत के अंदर रुट कैनाल प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली फाइल (पिन) टूट जाती है। अगर वह पिन दांत के जड़ों में है और बहार नहीं है तो वह आम तौर पर कोई परेशानी नहीं देता। और मरीज स्वस्थ ज़िंदगी व्यतीत कर सकता है। क्यूंकि रुट कैनाल के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले यन्त्र डॉक्टर खुद नहीं बनाता इसलिए डॉक्टर इसे रोक नहीं सकता। डॉक्टर अपनी ओर से एहतियात बरत सकता है की वह उपकरण पर ज़्यादा ज़ोर न दें। इसलिए मरीज को चाहिए की वह रुट कैनाल किसी माहिर दन्त चिकित्सक से कराये क्यूंकि एक माहिर डॉक्टर के हाथों फाइल (पिन) टूटने की संभावना काफी कम होती है।
डॉ दिशा से परामर्श के आप उनके दूरभाष नंबर 9878067123 पर संपर्क कर सकते है।
यह उपचार तब किया जाता है जब दांतों की सड़न दांतों की नसों तक पहुँच जाती है और उसे सिर्फ फिलिंग कर के बचा पाना नामुमकिन हो जाता है।
इस स्तिथि में मरीज को दांतों में काफी दर्द होता है और ज़्यादा गंभीर परिस्तिथि में दर्द के साथ सूजन और दांतों और मसूड़ों से मवाद भी आ सकता है।
यह एक काफी गंभीर परिस्तिथि है और इससे मरीज की जान भी जा सकती है। इस हालत में दन्त चिकित्सक के पास दो ही विकल्प होते हैं। एक की वो दन्त को निकाल दे और दूसरा उसकी रुट कैनाल कर दे। रुट कैनाल में दांत के अंदर ऊपर से एक सूराख बनाकर दांत की नसें निकाल देते हैं और उसके अंदर जड़ों तक मसाला भर देते हैं।
रुट कैनाल के बाद आम तौर पर दांत का दर्द कुछ दिनों में ठीक हो जाता है और सूजन भी ठीक हो जाती है। आप अपने दन्त चिकित्सक से चमत्कार की उम्मीद न करें, वह एक डॉक्टर है, जादूगर नहीं। दन्त चिकित्सक ने कितना भी अच्छा काम किया हो पर इलाज का असर होने में हफ्ते से दो हफ्ते का समय लग सकता है। और जिस दांत की रुट कैनाल हो रही हो वह दांत काफी कमजोर हो जाता है इसलिए को चाहिए की वह उस दांत का ज़्यादा ख्याल रखे और जब तक उसपर कैप न लग जाए उससे कुछ भी न चबाये। कई बार दांत अंदर से इतना खोखला हो जाता है की वह बिना चबाये सिर्फ दुसरे दांत से टकराने मात्र से टूट जाता है।
रुट कैनाल उपचार के बाद दांत से दर्द तो आम तौर पर हफ्ते दस दिन में बिलकुल ठीक हो जाता है परन्तु दांत काफी कमज़ोर हो जाता है। दांत के टूटने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। इसलिए मरीज को चाहिए की जल्द से जल्द अपने दांत पर कैप लगवा ले। कैप लगने के बाद दांत के टूटने का खतरा काफी कम हो जाता है। परन्तु इसका अर्थ ये बिलकुल भी नहीं है की आप दांतों की देखभाल करना छोड़ दें।
जब हमने डॉक्टर दिशा से इस बारे में पुछा तो उन्होंने हमें बताया की रुट कैनाल के बाद भी अगर दांतों की अच्छी देखभाल ना की जाए तो दांत में फिर से इन्फेक्शन यानि संक्रमण हो सकता है जिससे दुबारा से रुट कैनाल करने की ज़रुरत पर सकती है। उन्होंने बताया की रुट कैनाल जितनी बार दुहराया जाए उतना दांत की उम्र कम होती है। इसलिए मरीज को चाहिए की वो दांतों की इतनी अच्छी देखभाल करे की दुबारा कभी रुट कैनाल की ज़रुरत ही न पड़े।
डॉ दिशा ने बताय की कई बार रुट कैनाल प्रक्रिया के दौरान दांत के अंदर रुट कैनाल प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली फाइल (पिन) टूट जाती है। अगर वह पिन दांत के जड़ों में है और बहार नहीं है तो वह आम तौर पर कोई परेशानी नहीं देता। और मरीज स्वस्थ ज़िंदगी व्यतीत कर सकता है। क्यूंकि रुट कैनाल के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले यन्त्र डॉक्टर खुद नहीं बनाता इसलिए डॉक्टर इसे रोक नहीं सकता। डॉक्टर अपनी ओर से एहतियात बरत सकता है की वह उपकरण पर ज़्यादा ज़ोर न दें। इसलिए मरीज को चाहिए की वह रुट कैनाल किसी माहिर दन्त चिकित्सक से कराये क्यूंकि एक माहिर डॉक्टर के हाथों फाइल (पिन) टूटने की संभावना काफी कम होती है।
डॉ दिशा से परामर्श के आप उनके दूरभाष नंबर 9878067123 पर संपर्क कर सकते है।