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Monday, October 15, 2018

दांतों की बिमारियों से कैसे बचें I How to Avoid Dental Problems?




दांतों की बिमारियों से कैसे बचें

हेलो दोस्तों,
मेरा नाम डॉक्टर दिशा सिंह है और मैं ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल में काम करती हु।
आज मैं आपके सामने कुछ जानकारी शेयर करने आयी हु।
जैसा की आप सभी जानते हैं, भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज भी दांतों की तकलीफों को काफी नज़रअंदाज किया जाता है। दांतों की समस्या इसी तरह बढ़ती चली जाती है और एक टाइम ऐसा आता है जब दांत को इलाज द्वारा बचाने का खर्च इतना बढ़ जाता है की आपके पास उस दांत को निकलवाने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचता। दांतों की ज़्यादातर समस्याएं दांतों में ठंडा लगने से शुरू होती है। ठंडा लगना यूँ तो एक बहुत मामूली तकलीफ है परन्तु आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है की तकरीबन बयालीस करोड़ लोग इससे ग्रसित हैं। इसका मतलब समझते हैं आप? अगर हर एक व्यक्ति महीने में सिर्फ एक टूथपेस्ट ख़रीदे जो यह दावा करता है की इससे ठंडा लगना कम हो जाएगा और हर एक टूथपेस्ट की ट्यूब पर उसे बनाने वाली कंपनी की आमदनी सिर्फ एक रुपया ही मान लें, तो आपकी इस तकलीफ से टूथपेस्ट कंपनी को हर महीने ४२ करोड़ रुपये का मुनाफा है। और आप बहुत अच्छे से जानते हैं की एक टूथपेस्ट से मुनाफा सिर्फ १ रुपया हो ऐसा नहीं हो सकता। यही कारन है की आज बाजार में ऐसे टूथपेस्ट की बाढ़ आ गयी है जो यह दावा करती है की यह आपको सेंसिटिविटी से आराम दिलाएगी।





अब आपको सेंसिटिविटी के कारणों के बारे में थोड़ा बतलायी दें। दांतों की दो परतें होती हैं। सबसे बाहरी इनेमल और उसके अंदर डेंटिन. अनेकों कारणों की वजहों से कई बार इनेमल घिस जाता है और डेंटिन एक्सपोज़ हो जाता है। डेंटिन के अंदर नसें होती हैं जिनकी वजह से आपको ठंडा या गर्म लग सकता है। और एक बात आपको गाँठ बात लेनी हैं की दुनिया में ऐसी कोई दवायी या टूथपेस्ट नहीं बनी जो इस घिस चुके इनेमल को दुबारा बना दे। इस घिसे इनेमल को दुबारा बनाने का सिर्फ एक ही तरीका है वो है एक डेंटिस्ट एक पास जाकर उसकी फिलिंग करवाना।



जब हमें दांतों में ढंडा लगना शुरू होता तो हम केमिस्ट के पास जाकर ऐसे टूथपेस्ट लेकर आ जाते हैं और बेफिक्र हो जाते हैं। ये टूथपेस्ट आपको सेंसिटिविटी से आराम तो दिलाते हैं पर यह इलाज नहीं है। अगर आपको पेट में दर्द हो और आप पेन किलर खा लो तो यह इलाज नहीं है, यह सिर्फ आपको दर्द से आराम दिलाता है। जबकि असली बिमारी हर दिन बढ़ती चली जाती है। ठीक इसी तरह दांतो की तकलीफ भी बढ़ती चली जाती है और जो चीज़ सिर्फ १००० रुपए से ठीक हो सकती थी अब आपको या तो १०००० खर्च करने पड़ेंगे या नहीं तो दांत निकलवाना पड़ेगा। आपको यह भी बता दूँ की अगर आपने दांत निकलवाने का निर्णय लिया तो भी आपके पास एक दुविधा रहेगी. पहली दांत निकलवाने के बाद दूसरा नकली दांत लगवाए या उस खाली जगह को ऐसे ही खाली रखें। अगर आपने दूसरा नकली दांत लगवाने का निर्णय लिया तो डेंटल इम्प्लांट १५००० से ५०००० के बीच कॉस्ट करते हैं और तो और एक छोटा सा ब्रिज भी १५००० से ऊपर ही कॉस्ट करेगा।




हाँ आपके पास एक सस्ता ऑप्शन यह है की आप दांत लगवाएं ही नहीं। परन्तु इसके बहुत नुक्सान हैं। पहला यह की जब दांत निकल जाते हैं तब दांतों के बीच का कसाव काम हो जाता है। इसके कारण दो तीन वर्षों में सारे दांत ढीले हो जाते हैं। जब एक दांत नहीं रहता तो उसके ऊपर या नीचे वाला दांत भी ख़राब हो जाता है। हम इंसान हैं और हमारे खाने की पाचन प्रक्रिया हमारे मुँह से शुरू होती है। जब हम खाने को अच्छे से चबाते हैं तो हमारे थूक में मौजूद एक रसायन, सलाईवरी एमाइलेज, खाने को पचने की प्रक्रिया शुरू करता है। अगर आपके दांत न हो तो यह प्रक्रिया ठीक से नहीं होता जिससे आपको अपच और पेट और आँतों की समस्या हो सकती है। हमारे दांत लगभग सौ किलो का वजन डालते है जब हम खाने को चबाते हैं। आप खुद समझदार हैं की अगर एक भी दांत काम हो जाए तो इस वजन के कारण आपके जबड़ों पर कितना दुष्प्रभाव पड़ेगा।

इसका हल क्या है?
१. हर छह महीने पर अपने दांतों की जांच कराएं
२. अगर आपके दांतों में ठंडा या गर्म लगता है तो टूथ पेस्ट का सहारा नहीं अपितु डेंटिस्ट का सहारा लें।
३. दांतों की समस्या को गंभीरता से लें।



स्वस्थ दांत अगर हो तो खाने का मज़ा तो आता है ही परन्तु आप भी सुन्दर दीखते हैं और आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। एक रिसर्च से पता चला है की अच्छे दांतों वाले लोग ख़राब दांतों वाले लोगों से ५ साल ज़्यादा जीते हैं और और वो ज़्यादा सफल भी होते हैं।

हम, ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल जीरकपुर , आपके अच्छे स्वास्थय की कामना करते हैं और आपको यह सलाह देते हैं की अगर आपको दांतों की कोई भी तकलीफ है तो उसे जल्द से जल्द किसी नज़दीकी डेंटिस्ट को दिखाएं। अन्यथा आप हमें कॉल कर सकते हैं. हमारा मोबाइल नंबर है ७९८६४३३५११.
आपकी हितैषी
डॉ दिशा सिंह

धन्यवाद।

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