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Saturday, December 14, 2019

रुट कैनाल उपचार (RCT), जिसे नसों का इलाज भी बोलते हैं या दांतों की नसें काटना भी कहा जाता है।

रुट कैनाल उपचार (RCT), जिसे नसों का इलाज भी बोलते हैं या दांतों की नसें काटना भी कहा जाता है। 


यह उपचार तब किया जाता है जब दांतों की सड़न दांतों की नसों तक पहुँच जाती है और उसे सिर्फ फिलिंग कर के बचा पाना नामुमकिन हो जाता है।
इस स्तिथि में मरीज को दांतों में काफी दर्द होता है और ज़्यादा गंभीर परिस्तिथि में दर्द के साथ सूजन और दांतों और मसूड़ों से मवाद भी आ सकता है।
यह एक काफी गंभीर परिस्तिथि है और इससे मरीज की जान भी जा सकती है। इस हालत में दन्त चिकित्सक के पास दो ही विकल्प होते हैं।  एक की वो दन्त को निकाल दे और दूसरा उसकी रुट कैनाल कर दे। रुट कैनाल में दांत के अंदर ऊपर से एक सूराख बनाकर दांत की नसें निकाल देते हैं और उसके अंदर जड़ों तक मसाला भर देते हैं।
रुट कैनाल के बाद आम तौर पर दांत का दर्द कुछ दिनों में ठीक हो जाता है और सूजन भी ठीक हो जाती है। आप अपने दन्त चिकित्सक से चमत्कार की उम्मीद न करें, वह एक डॉक्टर है, जादूगर नहीं। दन्त चिकित्सक ने कितना भी अच्छा काम किया हो पर इलाज का असर होने में हफ्ते से दो हफ्ते का समय लग सकता है। और जिस दांत की रुट कैनाल हो रही हो वह दांत काफी कमजोर हो जाता है इसलिए को चाहिए की वह उस दांत का ज़्यादा ख्याल रखे और जब तक उसपर कैप न लग जाए उससे कुछ भी न चबाये। कई बार दांत अंदर से इतना खोखला हो जाता है की वह बिना चबाये सिर्फ दुसरे दांत से टकराने मात्र से टूट जाता है।
रुट कैनाल उपचार के बाद दांत से दर्द तो आम तौर पर हफ्ते दस दिन में बिलकुल ठीक हो जाता है परन्तु दांत काफी कमज़ोर हो जाता है। दांत के टूटने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। इसलिए मरीज को चाहिए की जल्द से जल्द अपने दांत पर कैप लगवा ले।  कैप लगने के बाद दांत के टूटने का खतरा काफी कम हो जाता है। परन्तु इसका अर्थ ये बिलकुल भी नहीं है की आप दांतों की देखभाल करना छोड़ दें। 

जब हमने डॉक्टर दिशा से इस बारे में पुछा तो उन्होंने हमें बताया की रुट कैनाल के बाद भी अगर दांतों की अच्छी देखभाल ना की जाए तो दांत में फिर से इन्फेक्शन यानि संक्रमण हो सकता है जिससे दुबारा से रुट कैनाल करने की ज़रुरत पर सकती है।  उन्होंने बताया की रुट कैनाल जितनी बार दुहराया जाए उतना दांत  की उम्र कम होती है।  इसलिए मरीज को चाहिए की वो दांतों की इतनी अच्छी देखभाल करे की दुबारा कभी रुट कैनाल की ज़रुरत ही न पड़े।

डॉ दिशा ने बताय की कई बार रुट कैनाल प्रक्रिया के दौरान दांत के अंदर रुट कैनाल प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली फाइल (पिन) टूट जाती है।  अगर वह पिन दांत के जड़ों में है और बहार नहीं है तो वह आम तौर पर कोई परेशानी नहीं देता।  और मरीज स्वस्थ ज़िंदगी व्यतीत कर सकता है।  क्यूंकि रुट कैनाल के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले यन्त्र डॉक्टर खुद नहीं बनाता  इसलिए डॉक्टर इसे रोक नहीं सकता।  डॉक्टर अपनी ओर से एहतियात बरत सकता है की वह उपकरण पर ज़्यादा ज़ोर न दें। इसलिए मरीज को चाहिए की वह रुट कैनाल किसी माहिर दन्त चिकित्सक से कराये क्यूंकि एक माहिर डॉक्टर के हाथों फाइल (पिन) टूटने की संभावना काफी कम होती है।
डॉ दिशा से परामर्श के आप उनके दूरभाष नंबर 9878067123 पर संपर्क कर सकते है।













Monday, October 15, 2018

दांतों की बिमारियों से कैसे बचें I How to Avoid Dental Problems?




दांतों की बिमारियों से कैसे बचें

हेलो दोस्तों,
मेरा नाम डॉक्टर दिशा सिंह है और मैं ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल में काम करती हु।
आज मैं आपके सामने कुछ जानकारी शेयर करने आयी हु।
जैसा की आप सभी जानते हैं, भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज भी दांतों की तकलीफों को काफी नज़रअंदाज किया जाता है। दांतों की समस्या इसी तरह बढ़ती चली जाती है और एक टाइम ऐसा आता है जब दांत को इलाज द्वारा बचाने का खर्च इतना बढ़ जाता है की आपके पास उस दांत को निकलवाने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचता। दांतों की ज़्यादातर समस्याएं दांतों में ठंडा लगने से शुरू होती है। ठंडा लगना यूँ तो एक बहुत मामूली तकलीफ है परन्तु आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है की तकरीबन बयालीस करोड़ लोग इससे ग्रसित हैं। इसका मतलब समझते हैं आप? अगर हर एक व्यक्ति महीने में सिर्फ एक टूथपेस्ट ख़रीदे जो यह दावा करता है की इससे ठंडा लगना कम हो जाएगा और हर एक टूथपेस्ट की ट्यूब पर उसे बनाने वाली कंपनी की आमदनी सिर्फ एक रुपया ही मान लें, तो आपकी इस तकलीफ से टूथपेस्ट कंपनी को हर महीने ४२ करोड़ रुपये का मुनाफा है। और आप बहुत अच्छे से जानते हैं की एक टूथपेस्ट से मुनाफा सिर्फ १ रुपया हो ऐसा नहीं हो सकता। यही कारन है की आज बाजार में ऐसे टूथपेस्ट की बाढ़ आ गयी है जो यह दावा करती है की यह आपको सेंसिटिविटी से आराम दिलाएगी।





अब आपको सेंसिटिविटी के कारणों के बारे में थोड़ा बतलायी दें। दांतों की दो परतें होती हैं। सबसे बाहरी इनेमल और उसके अंदर डेंटिन. अनेकों कारणों की वजहों से कई बार इनेमल घिस जाता है और डेंटिन एक्सपोज़ हो जाता है। डेंटिन के अंदर नसें होती हैं जिनकी वजह से आपको ठंडा या गर्म लग सकता है। और एक बात आपको गाँठ बात लेनी हैं की दुनिया में ऐसी कोई दवायी या टूथपेस्ट नहीं बनी जो इस घिस चुके इनेमल को दुबारा बना दे। इस घिसे इनेमल को दुबारा बनाने का सिर्फ एक ही तरीका है वो है एक डेंटिस्ट एक पास जाकर उसकी फिलिंग करवाना।



जब हमें दांतों में ढंडा लगना शुरू होता तो हम केमिस्ट के पास जाकर ऐसे टूथपेस्ट लेकर आ जाते हैं और बेफिक्र हो जाते हैं। ये टूथपेस्ट आपको सेंसिटिविटी से आराम तो दिलाते हैं पर यह इलाज नहीं है। अगर आपको पेट में दर्द हो और आप पेन किलर खा लो तो यह इलाज नहीं है, यह सिर्फ आपको दर्द से आराम दिलाता है। जबकि असली बिमारी हर दिन बढ़ती चली जाती है। ठीक इसी तरह दांतो की तकलीफ भी बढ़ती चली जाती है और जो चीज़ सिर्फ १००० रुपए से ठीक हो सकती थी अब आपको या तो १०००० खर्च करने पड़ेंगे या नहीं तो दांत निकलवाना पड़ेगा। आपको यह भी बता दूँ की अगर आपने दांत निकलवाने का निर्णय लिया तो भी आपके पास एक दुविधा रहेगी. पहली दांत निकलवाने के बाद दूसरा नकली दांत लगवाए या उस खाली जगह को ऐसे ही खाली रखें। अगर आपने दूसरा नकली दांत लगवाने का निर्णय लिया तो डेंटल इम्प्लांट १५००० से ५०००० के बीच कॉस्ट करते हैं और तो और एक छोटा सा ब्रिज भी १५००० से ऊपर ही कॉस्ट करेगा।




हाँ आपके पास एक सस्ता ऑप्शन यह है की आप दांत लगवाएं ही नहीं। परन्तु इसके बहुत नुक्सान हैं। पहला यह की जब दांत निकल जाते हैं तब दांतों के बीच का कसाव काम हो जाता है। इसके कारण दो तीन वर्षों में सारे दांत ढीले हो जाते हैं। जब एक दांत नहीं रहता तो उसके ऊपर या नीचे वाला दांत भी ख़राब हो जाता है। हम इंसान हैं और हमारे खाने की पाचन प्रक्रिया हमारे मुँह से शुरू होती है। जब हम खाने को अच्छे से चबाते हैं तो हमारे थूक में मौजूद एक रसायन, सलाईवरी एमाइलेज, खाने को पचने की प्रक्रिया शुरू करता है। अगर आपके दांत न हो तो यह प्रक्रिया ठीक से नहीं होता जिससे आपको अपच और पेट और आँतों की समस्या हो सकती है। हमारे दांत लगभग सौ किलो का वजन डालते है जब हम खाने को चबाते हैं। आप खुद समझदार हैं की अगर एक भी दांत काम हो जाए तो इस वजन के कारण आपके जबड़ों पर कितना दुष्प्रभाव पड़ेगा।

इसका हल क्या है?
१. हर छह महीने पर अपने दांतों की जांच कराएं
२. अगर आपके दांतों में ठंडा या गर्म लगता है तो टूथ पेस्ट का सहारा नहीं अपितु डेंटिस्ट का सहारा लें।
३. दांतों की समस्या को गंभीरता से लें।



स्वस्थ दांत अगर हो तो खाने का मज़ा तो आता है ही परन्तु आप भी सुन्दर दीखते हैं और आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। एक रिसर्च से पता चला है की अच्छे दांतों वाले लोग ख़राब दांतों वाले लोगों से ५ साल ज़्यादा जीते हैं और और वो ज़्यादा सफल भी होते हैं।

हम, ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल जीरकपुर , आपके अच्छे स्वास्थय की कामना करते हैं और आपको यह सलाह देते हैं की अगर आपको दांतों की कोई भी तकलीफ है तो उसे जल्द से जल्द किसी नज़दीकी डेंटिस्ट को दिखाएं। अन्यथा आप हमें कॉल कर सकते हैं. हमारा मोबाइल नंबर है ७९८६४३३५११.
आपकी हितैषी
डॉ दिशा सिंह

धन्यवाद।

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