Saturday, September 21, 2019

दांत निकलवाने के बाद क्या क्या परहेज करें : Dr Disha Singh




अक्सर डेंटिस्ट के पास जाकर अपने दांत तो निकलवा लेते हैं पर उनसे यह पूछना भूल जाते हैं की क्या क्या परहेज करें और क्या ध्यान में रखें। इस वीडियो के माध्यम से डॉ दिशा सिंह हमें हमारे सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगी। यह वीडियो पूरा ज़रूर देखें और शेयर करें। डॉ दिशा से सलाह लेने के लिए हमें व्हाट्सप्प करें 9878067123 पर।

ਅਕਸਰ ਦੰਦਾਂ ਦੇ ਡਾਕਟਰ ਕੋਲ ਜਾਓ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦੰਦ ਕੱ removed ਲਓ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਪੁੱਛਣਾ ਭੁੱਲ ਜਾਓ ਕਿ ਤੁਹਾਨੂੰ ਕਿਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਬਚਣਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਹੜੀ ਗੱਲ ਦਾ ਧਿਆਨ ਰੱਖਣਾ ਹੈ. ਇਸ ਵੀਡੀਓ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ ਡਾ: ਦੀਸ਼ਾ ਸਿੰਘ ਸਾਡੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਜਵਾਬ ਦੇਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰੇਗੀ। ਇਸ ਵੀਡੀਓ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰ ਦੇਖੋ ਅਤੇ ਸ਼ੇਅਰ ਕਰੋ. ਡਾ: ਦਿਸ਼ਾ ਦੀ ਸਲਾਹ ਲਈ ਸਾਨੂੰ 908123 'ਤੇ ਵਟਸਐਪ ਕਰੋ.


Wednesday, September 18, 2019

तीस मिनट में नए दांत : 30 ਮਿੰਟ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਦੰਦ: New Teeth in 30 Minutes


तीस  मिनट में नए दांत :
अक्सर ऐसा मैंने देखा है की लोग हमारे डेंटल क्लिनिक में आते हैं अपना टूटा दांत लेकर और उन्हें उसी दिन या अगले दिन कोई बड़ी पार्टी अटेंड करनी होती है। आम तौर पर ऐसे में कोई भी डेंटिस्ट आपकी कोई मदद नहीं कर सकता, क्यूंकि एक कैप या ब्रिज को लैब से बनकर आने दो से तीन दिनों का वक़्त आम तौर पर लगता ही है। ऐसे में वोको जर्मनी कंपनी द्वारा लांच किया गया यह उत्पाद आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। इस प्रोडक्ट को इस्तेमाल करके आपका डेंटिस्ट आपको एक नयी खूसूरत मुस्कान एक घंटे से काम समय में दे सकता है।
ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल में डॉ दिशा सिंह और डॉ अमन सिंह इस तकनीक में महारत रखते हैं।  उन्होंने इसकी ट्रेनिंग न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी और जर्मनी में डॉ तवील से हासिल की है. उनसे अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें 9878067123 पर।  या अपने नजदीकी डेंटिस्ट से मिलें और उनसे अधिक जानकारी लें।

ਤੀਹ ਮਿੰਟਾਂ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਦੰਦ:
ਅਕਸਰ ਮੈਂ ਵੇਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਟੁੱਟੇ ਦੰਦਾਂ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਦੰਦਾਂ ਦੇ ਕਲੀਨਿਕ ਵਿਚ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਸੇ ਦਿਨ ਜਾਂ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਇਕ ਵੱਡੀ ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ. ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ, ਕੋਈ ਦੰਦਾਂ ਦਾ ਡਾਕਟਰ ਇਸ ਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਤੁਹਾਡੀ ਮਦਦ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਕ ਟੋਪੀ ਜਾਂ ਬਰਿੱਜ ਨੂੰ ਲੈਬ ਵਿਚੋਂ ਆਉਣ ਵਿਚ ਆਮ ਤੌਰ' ਤੇ ਦੋ ਤੋਂ ਤਿੰਨ ਦਿਨ ਲੱਗਦੇ ਹਨ. ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ, ਵੋਕੋ ਜਰਮਨੀ ਕੰਪਨੀ ਦੁਆਰਾ ਲਾਂਚ ਕੀਤਾ ਇਹ ਉਤਪਾਦ ਤੁਹਾਡੇ ਲਈ ਵਰਦਾਨ ਸਾਬਤ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਉਤਪਾਦ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ, ਤੁਹਾਡਾ ਦੰਦਾਂ ਦਾ ਡਾਕਟਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇੱਕ ਘੰਟੇ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਖਟਾਈ ਮੁਸਕਾਨ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈ.
ਡਾ: ਦੀਸ਼ਾ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਡਾ ਅਮਨ ਸਿੰਘ ਓਡਨਟੋਸ ਡੈਂਟਲ ਹਸਪਤਾਲ ਵਿਚ ਇਸ ਤਕਨੀਕ ਵਿਚ ਮੁਹਾਰਤ ਰੱਖਦੇ ਹਨ. ਉਸਨੇ ਆਪਣੀ ਸਿਖਲਾਈ ਨਿ Newਯਾਰਕ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਜਰਮਨੀ ਵਿਚ ਲਈ.  ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਕਰੋ 9878067123. ਜਾਂ ਆਪਣੇ ਨਜ਼ਦੀਕੀ ਦੰਦਾਂ ਦੇ ਡਾਕਟਰ ਕੋਲ ਜਾਉ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਹੋਰ ਸਿੱਖੋ.

New teeth in 30 minutes:
Often I have seen that people come to our dental clinic with their broken teeth and they have to attend a big party on the same day or the next day. Normally, no dentist can help you in this situation, because it usually takes two to three days for a cap or bridge to come from the lab. In such a situation, this product launched by the Voco Germany company can prove to be a boon for you. By using this product, your dentist can give you a new sour smile in an hour's time.
Dr. Disha Singh and Dr. Aman Singh specialize in this technique at Odontos Dental Hospital. He received his training from New York University and Dr. Tavil in Germany. Contact them for appointment on 9978067123, Or visit your nearest dentist and learn more from them.


Odontos Eduversity is India's Number 1 Finishing School for Dental Surgeons, training BDS and MDS in Dental Clinical Fields. You can whatsapp us on 9878067123 or look at our prospectus by visiting www.odontos.net.in/prospectus2018.pdf

Friday, September 13, 2019

मुफ्त डेंटल इम्प्लांट पत्रिका : Free Dental Implant Booklet : ਇਮਪਲਾਂਟ ਜਾਣਕਾਰੀ ਕਿਤਾਬਚਾ

ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल ले कर आये हैं डेंटल इम्प्लांट इनफार्मेशन बुकलेट।  इस बुकलेट में इम्प्लांट से जुड़े सभी सवालों के जवाब देने की हमने कोशिश की है। आप इस बुकलेट को मुफ्त मंगवा सकते हैं।  सिर्फ आपको यह करना है की नीचे दिए लिंक को क्लिक करें और एक छोटा सा फॉर्म भर दें।  याद रखें फॉर्म में पूरा पता पिनकोड के साथ लिखें। आपको यह बुकलेट हम डाक द्वारा आपको भेज देंगे। 
ਓਡੋਂਤੋਸ ਡੈਂਟਲ ਹਸਪਤਾਲ ਦੰਦਾਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਕਿਤਾਬਚਾ ਲੈ ਕੇ ਆਇਆ ਹੈ. ਇਸ ਕਿਤਾਬਚੇ ਵਿਚ, ਅਸੀਂ ਇਮਪਲਾਂਟ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਜਵਾਬ ਦੇਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਹੈ. ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਕਿਤਾਬਚੇ ਨੂੰ ਮੁਫਤ ਵਿਚ ਆਰਡਰ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਿਰਫ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਲਿੰਕ ਤੇ ਕਲਿੱਕ ਕਰਨਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇੱਕ ਛੋਟਾ ਫਾਰਮ ਭਰਨਾ ਹੈ. ਪਿੰਨਕੋਡ ਨਾਲ ਫਾਰਮ ਵਿਚ ਪੂਰਾ ਪਤਾ ਲਿਖਣਾ ਯਾਦ ਰੱਖੋ. ਅਸੀਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਹ ਪੁਸਤਿਕਾ ਡਾਕ ਦੁਆਰਾ ਭੇਜਾਂਗੇ.




Thursday, September 5, 2019

Ill Effects of Dental Caries (Cavities) दांतों की सड़न और उसका नुक्सान


Ill Effects of Dental Caries (Cavities) दांतों की सड़न और उसका नुक्सान Call Dr Aman SIngh or Dr Disha Singh at 9878067123 or simply WhatsApp.




Thursday, August 22, 2019

Sunday, March 17, 2019

क्या Mig21 (मिग २१) F16 (ऍफ़ १६) युद्ध विमान को मार गिरा सकता है I Can Mig 21 fighter jet Shoot F16 Fighter jet down.

क्या Mig21 (मिग २१) F16 (ऍफ़ १६) युद्ध विमान को मार गिरा सकता है I Can Mig 21 fighter jet Shoot F16 Fighter jet down.

जैसा की आपने पढ़ा देखा और सुना होगा की भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनन्दन ने अपने मिग विमान से एक पाकिस्तान की एफ16 विमान को मार गिराया।  परन्तु कई देसी और विदेशी लोगों ने यह मानने से इंकार कर दिया की एक मिग एफ 16 को गिरा सकता है। हम इस बात का विश्लेषण करेंगे और हमारा विश्लेषण तथ्यों पर आधारित होगा। 
  
दोनों विमानों में अगर आपने फर्क समझना है तो नीचे दिए गए तस्वीरों को ज़रा गौर से देखिये। 

यह तस्वीर मिग 21 , तेजस और एफ 16 विमानों के कॉकपिट की है। कॉकपिट यानी जहाँ पायलट बैठ कर विमान उड़ाता है। 
किसी भी विमान को उड़ने और उड़ाने वाली टेक्नोलॉजी को एवियोनिक्स कहा जाता है ।  यह एवियोनिक्स उसकी कण्ट्रोल सिस्टम पर निर्भर करती है। जैसा की तस्वीरों से आप देख पा रहे हैं की मिग विमान का एवियोनिक्स किसी पुराने एम्बेसडर कार की तरह है और एफ १६ विमान का एवियोनिक्स किसी बी.ऍम.डब्लू  गाडी से भी ज़्यादा एडवांस है। गौर करने वाली बात यह है की हमारे तेजस विमान का एवियोनिक्स भी उच्च स्तरीय है। चलिए यह तो कण्ट्रोल की बात हो गयी, अब हम अपनी समीक्षा को आगे बढ़ाते हैं।
अब हम थोड़ा दोनों विमानों को समझ लें। 
कुछ तथ्य मिग के बारे में:
1. मिकोयान-गुरेविच 21 (MIkoyan-Gurevich 21) को छोटे अक्षरों में  मिग -21 कहा जाता है।
2. यह इस विमान को डिज़ाइन करने वाले दो वैज्ञानिको के सम्मान में है।
3. पहला मिग २१ विमान सं 1959 में ऊरा था।
4. सं 1959 से अब तक करीब 11496 मिग 21 विमान बने।
5.  इस विमान का निर्माण रूस , भारत और चेकोस्लोवाकिया में किया जाता था।
6. भारत में HAL इसका निर्माण करती थी और अब इसका आधुनिकरण और रख रखाव करती है।
7. भारत ने कुल 657 मिग २१ विमानों का निर्माण किया।
8. भारत के पास 1200 से ज़्यादा मिग २१ विमान थे।
9. 2019 तक सिर्फ 113 विमान ऑपरेशनल हैं।  बाकी विमानों को रिटायर कर दिया गया।
10. भारत में तकरीबन 450 विमान दुर्घटना का शिकार हुए जिनमें 170 पायलट और 40 आम नागरिकों की जान गयी।
शुरूआती मिग २१ और आज के मिग २१ में बहुत फर्क है।
वह फर्क क्या हैं ?

  1. मिग 21 की तेल की टंकी बॉडी के नीचे होती थी जिसकी वजह से जैसे जैसे तेल काम होता था उसका गुरुत्व केंद्र (center of gravity) विमान के सेंटर से बदल जाता था और इसकी वजह से प्लेन को उड़ा पाना बहुत मुश्किल हो जाता था और ज़्यादातर मिग दुर्घटनाओं की वजह भी यही है।  
  2. आपको जान कर हैरानी होगी की शुरूआती मिग 21 हवायी जहाज की मारक क्षमता सिर्फ 85 KM थी।  यानि की यह एक बार में सिर्फ 170 KM ही उड़ सकता था।  
  3. एक टाइम की मैक्सिमम फ्लाइट टाइम सिर्फ 45 मिनट्स थी। अर्थार्त यह विमान सिर्फ 45 मिनट्स ही उड़ाया जा सकता था।
  4. बाद वाले मॉडल्स में, जो की भारत में MiG 21 Bison के नाम से जाने जाते है, तेल की टंकी को बेहतर बनाया गया और कार्गो लोड काम कर के अतिरिक्त तेल की टंकी लगा कर  इसकी मारक दूरी को 255 km और फिर बाद में कुछ और फेर बदल कर के इसे 650 km तक पहुँचाया गया।  
  5. एक बहुत बड़ी कमी जो इस विमान में है वो है इसका आफ्टर बर्नर।  यह विमान का वह हिस्सा होता है जो विमान को अतिरिक्त तेज़ी प्रदान करता है।  इसके आफ्टर बर्नर में मूलभूत कमी के कारन यह किसी छोटी चिड़िया से भी टकरा जाने से यह दुर्घटना ग्रस्त हो सकता है। और इसका कोई पक्का इलाज भी संभव नहीं है।  हाल में हुयी विमान दुर्घटनाओं में आफ्टर बर्नर का फ़ैल होना एक प्रमुख कारण है। 
  6. इस विमान के डिज़ाइन को डेल्टा विंग डिज़ाइन कहते हैं।  यह डिज़ाइन पुराने ज़माने का है।  इस डिज़ाइन की खासियत है की इससे विमान बहुत तेज़ी से ऊंचाई हासिल कर सकता है। इस डिज़ाइन की कमी है की इस डिज़ाइन की वजह से विमान को घूमा पाना मुश्किल होता है और इसमें काफी टाइम ख़राब होता है।  इसलिए यह विमान किसी विमान का पीछा करने (interception) के लिए तो ठीक है परन्तु लड़ायी लड़ने जिसे की डॉग फाइट (dogfight) कहते है उसके लिए बिलकुल भी उपयुक्त नहीं है।

चलिए अब थोड़ी बात F16 के बारे में कर लें:
1. F16 विमान का डिज़ाइन और निर्माण पहली बार जनरल डायनामिक्स नामक कंपनी ने सं 1978 में किया। 
2. इसका निर्माण सं 1999 से लॉकहीड मार्टिन नामक कंपनी कर रही है। 
3.यह विमान सोवियत रूस के मिग को टक्कर देने के लिए सं 1974 में प्लान किया गया और इसे ड्राइंग बोर्ड से हकीकत बनने में 4 साल का  समय लगा।
4. यह विमान इतना अत्याधुनिक इसलिए भी है क्यूंकि इसे बनाने के लिए अमरीकन सर्कार ने कम्पटीशन का आयोजन किया जिसमें बहुत सारे कंपनियों ने भाग लिया और इस रेस में फ ६ सबसे अच्छा विमान उभर कर आया और फिर अमरीकी सर्कार ने इस विमान का आर्डर दिया। 
5. इस विमान का निर्माण आज भी होता है। लॉक  हीड मार्टिन ने इसका निर्माण २०१९ में फिर से शुरू किया है क्यूंकि उसे बहरीन देश से इस विमान के नए ऑर्डर्स मिले हैं। 
6. गौर करने वाली बात है की इस विमान का निर्माण आज तक सिर्फ अमेरिका में हुआ है लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुए एक समझौते के बाद जल्द ही टाटा डिफेन्स नमक कंपनी इस विमान का निर्माण भारत में शुरू करेगी ।
7. भारत में इस विमान का निर्माण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत किया जाएगा। लॉक हीड मार्टिन पूरी तकनीक भारतीय कंपनी टाटा डिफेन्स को सौपेगी। इस डील की कुल कीमत 150 से 200 करोड़ डॉलर बतायी जाती है। 
8. जून 2018 तक तकरीबन 4604 विमानों का निर्माण किया जा चूका है। 
9. इस  विमान में हवा में तेल भरने की काबलियत है और उसकी बदौलत यह विमान एक बार में 2600km तक मार कर सकता है। 
10. गौर करने वाली बात यह है की ज़्यादातर विमानों को ऐसे बनाया जाता है की अगर पायलट कण्ट्रोल लीवर छोड़ दे तो विमान खुद सीधा हो जाए। इसे स्टेबिलिटी प्रोग्राम कहा जाता है।  परन्तु F16 विमान को ऐसे बनाया गया है की अगर इसे छोड़ा जाए तो यह पलट जाए।  ऐसा करने से इस  विमान को मोड़ना और पलटना बहुत आसान हो जाता है।  इसमें कई कंप्यूटर लगे हैं जो पायलट के छोटे इशारे पर विमान को सीधा भी कर देते हैं।  इसलिए यह विमान डॉग फाइट के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। 
11. एक और तकनीक जो पहली बार इस विमान में इस्तेमा हुआ वो था ड्राइव बायीं वायर तकनीक। ज़्यादातर विमानों में स्टीयरिंग लीवर विमान के रडर से जुड़े होते है  पायलट के लीवर हिलाने से रडर हिलता है और विमान की दिशा बदलती है। परन्तु F16 में ऐसा नहीं होता। इस विमान में पायलट का लीवर एक कंप्यूट को बताता है की क्या करना है और फिर वह कंप्यूटर फैसला करता है की ऐसा करना ठीक रहेगा या नहीं।  फिर वह कंप्यूटर रडर को कण्ट्रोल करता है और विमान की दिशा बदलता है। 
12. इस विमान का दुर्घटनाओं का रिकॉर्ड बहुत साफ़ है।  सिवाए इक्के दुक्के घटनाओ के इस विमान से जुडी कोई बड़ी घटना नहीं है। 
13. आज तक इस विमान को मार गिराने  का रिकॉर्ड भी बहुत साफ़ है।  कुछ एक घटनाएं हैं पर वो भी क्यों हुयी यह आज तक साफ़ नहीं हुआ है। 
अब बात करते हैं की क्या मिग ऍफ़ १६ को मार गिरा सकता है?
अगर मिग को R-77ER से अपग्रेड किया गया है जो की एक मिसाइल है जिसकी मारक दूरी तकरीबन 160km है, तो हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं की मिग F16 को टक्कर देने में सक्षम है, अन्यथा यह सोचना भी हास्यप्रद होगा।  

एक गौर करने वाली बात है की एक पूरी तरह से आधुनिक F16  विमान की कीमत में तकरीबन 12 पूरी तरह से लैस मिग आ जाएंगे। और अगर एक F16 विमान के पीछे 2 या 3 मिग  लग जाएँ तो F16 का बच पाना  मुश्किल है।  यही कारण है की भारत आज भी  की  मिग विमानों का आधुनिकरण कर रहा है। 

और तीसरी वजह जो मिग को वरीयता दे सकता है वो है उसका पायलट।  एक अच्छा पायलट मिग से F16 किसी भी परिस्थिति में गिरा देगा।  और भारत के पास ऐसे पायलट्स की कोई कमी। 

जय हिन्द 


Sunday, February 10, 2019

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