Sunday, March 17, 2019

क्या Mig21 (मिग २१) F16 (ऍफ़ १६) युद्ध विमान को मार गिरा सकता है I Can Mig 21 fighter jet Shoot F16 Fighter jet down.

क्या Mig21 (मिग २१) F16 (ऍफ़ १६) युद्ध विमान को मार गिरा सकता है I Can Mig 21 fighter jet Shoot F16 Fighter jet down.

जैसा की आपने पढ़ा देखा और सुना होगा की भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनन्दन ने अपने मिग विमान से एक पाकिस्तान की एफ16 विमान को मार गिराया।  परन्तु कई देसी और विदेशी लोगों ने यह मानने से इंकार कर दिया की एक मिग एफ 16 को गिरा सकता है। हम इस बात का विश्लेषण करेंगे और हमारा विश्लेषण तथ्यों पर आधारित होगा। 
  
दोनों विमानों में अगर आपने फर्क समझना है तो नीचे दिए गए तस्वीरों को ज़रा गौर से देखिये। 

यह तस्वीर मिग 21 , तेजस और एफ 16 विमानों के कॉकपिट की है। कॉकपिट यानी जहाँ पायलट बैठ कर विमान उड़ाता है। 
किसी भी विमान को उड़ने और उड़ाने वाली टेक्नोलॉजी को एवियोनिक्स कहा जाता है ।  यह एवियोनिक्स उसकी कण्ट्रोल सिस्टम पर निर्भर करती है। जैसा की तस्वीरों से आप देख पा रहे हैं की मिग विमान का एवियोनिक्स किसी पुराने एम्बेसडर कार की तरह है और एफ १६ विमान का एवियोनिक्स किसी बी.ऍम.डब्लू  गाडी से भी ज़्यादा एडवांस है। गौर करने वाली बात यह है की हमारे तेजस विमान का एवियोनिक्स भी उच्च स्तरीय है। चलिए यह तो कण्ट्रोल की बात हो गयी, अब हम अपनी समीक्षा को आगे बढ़ाते हैं।
अब हम थोड़ा दोनों विमानों को समझ लें। 
कुछ तथ्य मिग के बारे में:
1. मिकोयान-गुरेविच 21 (MIkoyan-Gurevich 21) को छोटे अक्षरों में  मिग -21 कहा जाता है।
2. यह इस विमान को डिज़ाइन करने वाले दो वैज्ञानिको के सम्मान में है।
3. पहला मिग २१ विमान सं 1959 में ऊरा था।
4. सं 1959 से अब तक करीब 11496 मिग 21 विमान बने।
5.  इस विमान का निर्माण रूस , भारत और चेकोस्लोवाकिया में किया जाता था।
6. भारत में HAL इसका निर्माण करती थी और अब इसका आधुनिकरण और रख रखाव करती है।
7. भारत ने कुल 657 मिग २१ विमानों का निर्माण किया।
8. भारत के पास 1200 से ज़्यादा मिग २१ विमान थे।
9. 2019 तक सिर्फ 113 विमान ऑपरेशनल हैं।  बाकी विमानों को रिटायर कर दिया गया।
10. भारत में तकरीबन 450 विमान दुर्घटना का शिकार हुए जिनमें 170 पायलट और 40 आम नागरिकों की जान गयी।
शुरूआती मिग २१ और आज के मिग २१ में बहुत फर्क है।
वह फर्क क्या हैं ?

  1. मिग 21 की तेल की टंकी बॉडी के नीचे होती थी जिसकी वजह से जैसे जैसे तेल काम होता था उसका गुरुत्व केंद्र (center of gravity) विमान के सेंटर से बदल जाता था और इसकी वजह से प्लेन को उड़ा पाना बहुत मुश्किल हो जाता था और ज़्यादातर मिग दुर्घटनाओं की वजह भी यही है।  
  2. आपको जान कर हैरानी होगी की शुरूआती मिग 21 हवायी जहाज की मारक क्षमता सिर्फ 85 KM थी।  यानि की यह एक बार में सिर्फ 170 KM ही उड़ सकता था।  
  3. एक टाइम की मैक्सिमम फ्लाइट टाइम सिर्फ 45 मिनट्स थी। अर्थार्त यह विमान सिर्फ 45 मिनट्स ही उड़ाया जा सकता था।
  4. बाद वाले मॉडल्स में, जो की भारत में MiG 21 Bison के नाम से जाने जाते है, तेल की टंकी को बेहतर बनाया गया और कार्गो लोड काम कर के अतिरिक्त तेल की टंकी लगा कर  इसकी मारक दूरी को 255 km और फिर बाद में कुछ और फेर बदल कर के इसे 650 km तक पहुँचाया गया।  
  5. एक बहुत बड़ी कमी जो इस विमान में है वो है इसका आफ्टर बर्नर।  यह विमान का वह हिस्सा होता है जो विमान को अतिरिक्त तेज़ी प्रदान करता है।  इसके आफ्टर बर्नर में मूलभूत कमी के कारन यह किसी छोटी चिड़िया से भी टकरा जाने से यह दुर्घटना ग्रस्त हो सकता है। और इसका कोई पक्का इलाज भी संभव नहीं है।  हाल में हुयी विमान दुर्घटनाओं में आफ्टर बर्नर का फ़ैल होना एक प्रमुख कारण है। 
  6. इस विमान के डिज़ाइन को डेल्टा विंग डिज़ाइन कहते हैं।  यह डिज़ाइन पुराने ज़माने का है।  इस डिज़ाइन की खासियत है की इससे विमान बहुत तेज़ी से ऊंचाई हासिल कर सकता है। इस डिज़ाइन की कमी है की इस डिज़ाइन की वजह से विमान को घूमा पाना मुश्किल होता है और इसमें काफी टाइम ख़राब होता है।  इसलिए यह विमान किसी विमान का पीछा करने (interception) के लिए तो ठीक है परन्तु लड़ायी लड़ने जिसे की डॉग फाइट (dogfight) कहते है उसके लिए बिलकुल भी उपयुक्त नहीं है।

चलिए अब थोड़ी बात F16 के बारे में कर लें:
1. F16 विमान का डिज़ाइन और निर्माण पहली बार जनरल डायनामिक्स नामक कंपनी ने सं 1978 में किया। 
2. इसका निर्माण सं 1999 से लॉकहीड मार्टिन नामक कंपनी कर रही है। 
3.यह विमान सोवियत रूस के मिग को टक्कर देने के लिए सं 1974 में प्लान किया गया और इसे ड्राइंग बोर्ड से हकीकत बनने में 4 साल का  समय लगा।
4. यह विमान इतना अत्याधुनिक इसलिए भी है क्यूंकि इसे बनाने के लिए अमरीकन सर्कार ने कम्पटीशन का आयोजन किया जिसमें बहुत सारे कंपनियों ने भाग लिया और इस रेस में फ ६ सबसे अच्छा विमान उभर कर आया और फिर अमरीकी सर्कार ने इस विमान का आर्डर दिया। 
5. इस विमान का निर्माण आज भी होता है। लॉक  हीड मार्टिन ने इसका निर्माण २०१९ में फिर से शुरू किया है क्यूंकि उसे बहरीन देश से इस विमान के नए ऑर्डर्स मिले हैं। 
6. गौर करने वाली बात है की इस विमान का निर्माण आज तक सिर्फ अमेरिका में हुआ है लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुए एक समझौते के बाद जल्द ही टाटा डिफेन्स नमक कंपनी इस विमान का निर्माण भारत में शुरू करेगी ।
7. भारत में इस विमान का निर्माण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत किया जाएगा। लॉक हीड मार्टिन पूरी तकनीक भारतीय कंपनी टाटा डिफेन्स को सौपेगी। इस डील की कुल कीमत 150 से 200 करोड़ डॉलर बतायी जाती है। 
8. जून 2018 तक तकरीबन 4604 विमानों का निर्माण किया जा चूका है। 
9. इस  विमान में हवा में तेल भरने की काबलियत है और उसकी बदौलत यह विमान एक बार में 2600km तक मार कर सकता है। 
10. गौर करने वाली बात यह है की ज़्यादातर विमानों को ऐसे बनाया जाता है की अगर पायलट कण्ट्रोल लीवर छोड़ दे तो विमान खुद सीधा हो जाए। इसे स्टेबिलिटी प्रोग्राम कहा जाता है।  परन्तु F16 विमान को ऐसे बनाया गया है की अगर इसे छोड़ा जाए तो यह पलट जाए।  ऐसा करने से इस  विमान को मोड़ना और पलटना बहुत आसान हो जाता है।  इसमें कई कंप्यूटर लगे हैं जो पायलट के छोटे इशारे पर विमान को सीधा भी कर देते हैं।  इसलिए यह विमान डॉग फाइट के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। 
11. एक और तकनीक जो पहली बार इस विमान में इस्तेमा हुआ वो था ड्राइव बायीं वायर तकनीक। ज़्यादातर विमानों में स्टीयरिंग लीवर विमान के रडर से जुड़े होते है  पायलट के लीवर हिलाने से रडर हिलता है और विमान की दिशा बदलती है। परन्तु F16 में ऐसा नहीं होता। इस विमान में पायलट का लीवर एक कंप्यूट को बताता है की क्या करना है और फिर वह कंप्यूटर फैसला करता है की ऐसा करना ठीक रहेगा या नहीं।  फिर वह कंप्यूटर रडर को कण्ट्रोल करता है और विमान की दिशा बदलता है। 
12. इस विमान का दुर्घटनाओं का रिकॉर्ड बहुत साफ़ है।  सिवाए इक्के दुक्के घटनाओ के इस विमान से जुडी कोई बड़ी घटना नहीं है। 
13. आज तक इस विमान को मार गिराने  का रिकॉर्ड भी बहुत साफ़ है।  कुछ एक घटनाएं हैं पर वो भी क्यों हुयी यह आज तक साफ़ नहीं हुआ है। 
अब बात करते हैं की क्या मिग ऍफ़ १६ को मार गिरा सकता है?
अगर मिग को R-77ER से अपग्रेड किया गया है जो की एक मिसाइल है जिसकी मारक दूरी तकरीबन 160km है, तो हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं की मिग F16 को टक्कर देने में सक्षम है, अन्यथा यह सोचना भी हास्यप्रद होगा।  

एक गौर करने वाली बात है की एक पूरी तरह से आधुनिक F16  विमान की कीमत में तकरीबन 12 पूरी तरह से लैस मिग आ जाएंगे। और अगर एक F16 विमान के पीछे 2 या 3 मिग  लग जाएँ तो F16 का बच पाना  मुश्किल है।  यही कारण है की भारत आज भी  की  मिग विमानों का आधुनिकरण कर रहा है। 

और तीसरी वजह जो मिग को वरीयता दे सकता है वो है उसका पायलट।  एक अच्छा पायलट मिग से F16 किसी भी परिस्थिति में गिरा देगा।  और भारत के पास ऐसे पायलट्स की कोई कमी। 

जय हिन्द 


Sunday, February 10, 2019

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Tuesday, February 5, 2019

Odontos Dental Clinic: दांतों के दर्द से जुड़ा एक रोचक तथ्य- call 9878067123

दांतों के दर्द से जुड़ा एक रोचक तथ्य


दांतों के दर्द की वजह कीड़े नहीं होते।  जैसा की आपने सुना  ही होगा की  कई लोग यह मानते हैं की दांतों का दर्द कीड़ों की वजह से होता है। जबकि दांतों में कीड़े लग ही नहीं सकते। हमारे मुँह के अंदर काफी ज़्यादा अम्लीय वातावरण यानि एल्कलाइन वातावरण किसी किस्म के कीड़े के लिए घातक है। दांतों में दर्द कीड़ों की वजह से नहीं बल्कि सूक्ष्म बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया तेज़ाब यानि एसिड बनाते हैं और यह एसिड हमारे मुँह के अम्लीय वातावरण को एसिडिक यानी तेजाबी बना देता है। और यह तेज़ाब हमारे दांतों की परतों को गाला देता है।  जैसे जैसे दांतों की पहले बाहरी परत फिर अंदरूनी परत गलती जाती है वैसे वैसे दांतों के बीच में मौजूद नसों में सूजन आणि शुरू हो जाती है।  हमारे दांतो में दर्द इसी सूजन की वजह से होती है।


 

Sunday, January 20, 2019

मुफ्त दांतो का इलाज। ओडोन्टोस डेंटल क्लिनिक, शास्त्री नगर , जम्मू। फोन नंबर 9149445862

रुट कैनाल ट्रीटमेंट क्या है?
रुट कैनाल ट्रीटमेंट तब किया जाता है जब आपके दांतो की सड़न  दांतो की नसों तक पहुँच जाता है। दांतों के बीच में नस होती जिससे दांत को पोषण मिलता है और साथ में यह नस दांत को हमारे मष्तिष्क के साथ जोड़ता है जिससे हमें दांतों में दर्द, दबाव, ठंडा और गर्म जैसी चीज़ों का एहसास होता है।

 जब सड़न नस तक पहुंच जाती है तब नसें सूज जाती है और इससे बहुत ज़्यादा दर्द होता है।  आम धारणा के विपरीत इस सूजन का इलाज किसी दवायी से संभव नहीं है। इसका इलाज सिर्फ और सिर्फ एक छोटी सी सर्जरी द्वारा संभव है जिसमें इस नस को काट कर निकाल दिया जाता है। और जिस जगह में यह नस होती है उस जगह को "गुट्टा पर्चा" नामक फिलिंग से भर दया जाता है।

रुट कैनाल ट्रीटमेंट का कोई दूसरा अल्टरनेटिव नहीं है। परन्तु आप आप इससे बच ज़रूर सकते हैं अगर आप दो बार दिन में ब्रश करें,  सुबह नाश्ते के बाद और रात को खाने के बाद।
रुट कैनाल उपचार 1000  रुपये से 5000 रुपये तक खर्च कर सकता है। यह फर्क आपके डॉक्टर द्वारा प्रयोग में लाये गए संयंत्र और उनके अनुभव के ऊपर निर्भर करता है। रुट कैनाल उपचार के बाद दांत कमज़ोर हो जाते हैं और उनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है। दांत को टूटने से बचने के लिए उसके ऊपर कैप करना ज़रूरी है। कैप से दांत की उम्र बढ़ जाती है। कैप 1500 रुपये से 20000 रुपये तक का हो सकता है।  यह कीमत उसके क्वालिटी पर निर्भर करता है। कैप से डॉक्टरों की कोई खासी कमायी नहीं होती क्यूंकि उसका बड़ा हिस्सा लैब वाले ले जाते हैं।   इसलिए आप महंगे से महँगा कैप लगवाए। हाँ हो सकता है की आपका डॉक्टर आपको सस्ता कैप महंगे में बैच रहा हो।  इसलिए हमेशा कैप का बिल और वारंटी कार्ड ज़रूर लें।  बिल और वारंटी कार्ड आपका हक़ है। आपको क्वालिटी मिली है यह सुनिश्चित करने के लिए बिल और कार्ड लेना बहुत ज़रूरी है।

यह पढ़ने के बाद तो आपको पता चल ही गया होगा की एक रुट कैनाल उपचार लगभग 3000 रुपये से 25000  रुपये तक का  है।  परन्तु क्या आप यह उपचार अफ़्फोर्ड कर सकते हैं ? यह उपचार आज भी आम जनता के लिए बहुत महंगा है।  जहाँ लोग पूरे महीने में सिर्फ 10000 रुपये कमाते हो वो यह उपचार कैसे करवा सकते हैं।
ओडोन्टोस डेंटल अस्पताल ने वर्ष 2011  से देश भर में ऐसे कई सेवार्थ दन्त चितिक्सालय खोले हैं जहाँ यह उपचार काफी किफायती दरों पर होता है।
ओडोन्टोस द्वारा संचालित ऐसे तीन अस्पतालों के पते हम आपको आज बता  रहे हैं :
डॉ राम चंद्र सिंह मेमोरियल चैरिटेबल डेंटल क्लिनिक, ग्राम लोहगढ़ , लोहगढ़ गुरूद्वारे के सामने। फ़ोन नंबर 7973063784 . यहाँ यह उपचार मुफ्त में किया जाता है। 

डॉ राम चंद्र सिंह मेमोरियल चैरिटेबल डेंटल क्लिनिक, नरिंदर शर्मा रोड, बदल कॉलोनी, जीरकपुर । फ़ोन नंबर 6239159080  . यहाँ रुट कैनाल उपचार के 500 रुपये और कैप के 1000  रुपये लिए जाते हैं।

ओडोन्टोस डेंटल क्लिनिक, शास्त्री नगर , जम्मू। फोन नंबर 9149445862  . यहाँ रुट कैनाल उपचार 500 रुपये में और कैप 1500  रुपये में किया जाता है. 
हमारे यहाँ बच्चे भी ख़ुशी ख़ुशी इलाज करा लेते हैं।  



राष्ट्रस्तरीय बेस्ट डेंटल क्लिनिक अवार्ड से पुरुस्कृत


Wednesday, October 17, 2018

डेंटल इम्प्लांट क्या होता है? अगर आप जानना चाहते हैं की डेंटल इम्प्लांट क्या होता है तो यह वीडियो ज़रूर देखें!

डेंटल इम्प्लांट क्या होता है? अगर आप जानना चाहते हैं की डेंटल इम्प्लांट क्या होता है तो यह वीडियो ज़रूर देखें!
डॉ अमन सिंह, चंडीगढ़ में सबसे ज़्यादा इम्प्लांट सर्जरी करने वाले चुनिंदा डॉक्टरों में से हैं जो महीने में सौ से ज़्यादा इम्प्लांट सर्जरी करते हैं।  वर्ष २०१६ में डॉ अमन सिंह को उनके उन्नत कार्य के लिए सराहते हुए माननीय  श्री डॉ हर्षवर्धन सिंह, मंत्री भारत सर्कार साइंस अवं टेक्नोलॉजी, ने पुरुस्कृत किया।  डॉ अमन बहुत ही कम खर्च में इम्प्लांट लगाकर मरीजों को फिक्स्ड दांत लगाने के लिए सुप्रसिद्ध हैं। डॉ अमन , ओडोन्टोस डेंटल क्लिनिक के संचालक हैं और इलाके का एक लौता दन्त चिकित्सालय जहाँ सिर्फ इम्प्लांट सर्जरी की जाती  है उसके  भी संचालक हैं।  उनके इस अस्पताल का नाम उन्होंने उनके गुरु डॉक्टर ब्रेनमार्क के नाम पर ब्रेनमार्क एक्सक्लूसिव डेंटल इम्प्लांट सेंटर रखा है।  आप उनसे उनके मोबाइल नंबर ९८७८०६७१२३ पर संपर्क कर सकते हैं।


मोबाइल नंबर : 9878067123
Address: Odontos Dental Hospital, sco 1, besides NK Sharma office, Ambala Chandigarh Highway, Zirakpur.
Address 2: Branemark Exclusive Dental Implant Centre, lgf 10, Navjot Square, Ambala Chandigarh Highway, Zirakpur.




Monday, October 15, 2018

दांतों की बिमारियों से कैसे बचें

 दांतों की बिमारियों से कैसे बचें
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हेलो दोस्तों,
मेरा नाम डॉ तरीका मदान है और मैं
रेजुवाडेंट  डेंटल हॉस्पिटल में काम करती हु।
आज मैं आपके सामने कुछ जानकारी शेयर करने आयी हु।
जैसा की आप सभी जानते हैं, भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज भी दांतों की तकलीफों को काफी नज़रअंदाज किया जाता है। दांतों की समस्या इसी तरह बढ़ती चली जाती है और एक टाइम ऐसा आता है जब दांत को इलाज द्वारा बचाने का खर्च इतना बढ़ जाता है की आपके पास उस दांत को निकलवाने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचता। दांतों की ज़्यादातर समस्याएं दांतों में ठंडा लगने से शुरू होती है। ठंडा लगना यूँ तो एक बहुत मामूली तकलीफ है परन्तु आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है की तकरीबन बयालीस करोड़ लोग इससे ग्रसित हैं। इसका मतलब समझते हैं आप? अगर हर एक व्यक्ति महीने में सिर्फ एक टूथपेस्ट ख़रीदे जो यह दावा करता है की इससे ठंडा लगना कम हो जाएगा और हर एक टूथपेस्ट की ट्यूब पर उसे बनाने वाली कंपनी की आमदनी सिर्फ एक रुपया ही मान लें, तो आपकी इस तकलीफ से टूथपेस्ट कंपनी को हर महीने ४२ करोड़ रुपये का मुनाफा है। और आप बहुत अच्छे से जानते हैं की एक टूथपेस्ट से मुनाफा सिर्फ १ रुपया हो ऐसा नहीं हो सकता। यही कारन है की आज बाजार में ऐसे टूथपेस्ट की बाढ़ आ गयी है जो यह दावा करती है की यह आपको सेंसिटिविटी से आराम दिलाएगी।
अब आपको सेंसिटिविटी के कारणों के बारे में थोड़ा बतलायी दें। दांतों की दो परतें होती हैं। सबसे बाहरी इनेमल और उसके अंदर डेंटिन. अनेकों कारणों की वजहों से कई बार इनेमल घिस जाता है और डेंटिन एक्सपोज़ हो जाता है। डेंटिन के अंदर नसें होती हैं जिनकी वजह से आपको ठंडा या गर्म लग सकता है। और एक बात आपको गाँठ बात लेनी हैं की दुनिया में ऐसी कोई दवायी या टूथपेस्ट नहीं बनी जो इस घिस चुके इनेमल को दुबारा बना दे। इस घिसे इनेमल को दुबारा बनाने का सिर्फ एक ही तरीका है वो है एक डेंटिस्ट एक पास जाकर उसकी फिलिंग करवाना। 


जब हमें दांतों में ढंडा लगना शुरू होता तो हम केमिस्ट के पास जाकर ऐसे टूथपेस्ट लेकर आ जाते हैं और बेफिक्र हो जाते हैं। ये टूथपेस्ट आपको सेंसिटिविटी से आराम तो दिलाते हैं पर यह इलाज नहीं है। अगर आपको पेट में दर्द हो और आप पेन किलर खा लो तो यह इलाज नहीं है, यह सिर्फ आपको दर्द से आराम दिलाता है। जबकि असली बिमारी हर दिन बढ़ती चली जाती है। ठीक इसी तरह दांतो की तकलीफ भी बढ़ती चली जाती है और जो चीज़ सिर्फ १००० रुपए से ठीक हो सकती थी अब आपको या तो १०००० खर्च करने पड़ेंगे या नहीं तो दांत निकलवाना पड़ेगा। आपको यह भी बता दूँ की अगर आपने दांत निकलवाने का निर्णय लिया तो भी आपके पास एक दुविधा रहेगी. पहली दांत निकलवाने के बाद दूसरा नकली दांत लगवाए या उस खाली जगह को ऐसे ही खाली रखें। अगर आपने दूसरा नकली दांत लगवाने का निर्णय लिया तो डेंटल इम्प्लांट १५००० से ५०००० के बीच कॉस्ट करते हैं और तो और एक छोटा सा ब्रिज भी १५००० से ऊपर ही कॉस्ट करेगा। हाँ आपके पास एक सस्ता ऑप्शन यह है की आप दांत लगवाएं ही नहीं। परन्तु इसके बहुत नुक्सान हैं। पहला यह की जब दांत निकल जाते हैं तब दांतों के बीच का कसाव काम हो जाता है। इसके कारण दो तीन वर्षों में सारे दांत ढीले हो जाते हैं। जब एक दांत नहीं रहता तो उसके ऊपर या नीचे वाला दांत भी ख़राब हो जाता है। हम इंसान हैं और हमारे खाने की पाचन प्रक्रिया हमारे मुँह से शुरू होती है। जब हम खाने को अच्छे से चबाते हैं तो हमारे थूक में मौजूद एक रसायन, सलाईवरी एमाइलेज, खाने को पचने की प्रक्रिया शुरू करता है। अगर आपके दांत न हो तो यह प्रक्रिया ठीक से नहीं होता जिससे आपको अपच और पेट और आँतों की समस्या हो सकती है। हमारे दांत लगभग सौ किलो का वजन डालते है जब हम खाने को चबाते हैं। आप खुद समझदार हैं की अगर एक भी दांत काम हो जाए तो इस वजन के कारण आपके जबड़ों पर कितना दुष्प्रभाव पड़ेगा। 
इसका हल क्या है?
१. हर छह महीने पर अपने दांतों की जांच कराएं
२. अगर आपके दांतों में ठंडा या गर्म लगता है तो टूथ पेस्ट का सहारा नहीं अपितु डेंटिस्ट का सहारा लें।
३. दांतों की समस्या को गंभीरता से लें।
स्वस्थ दांत अगर हो तो खाने का मज़ा तो आता है ही परन्तु आप भी सुन्दर दीखते हैं और आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। एक रिसर्च से पता चला है की अच्छे दांतों वाले लोग ख़राब दांतों वाले लोगों से ५ साल ज़्यादा जीते हैं और और वो ज़्यादा सफल भी होते हैं।
हम, रेजुवाडेंट  डेंटल हॉस्पिटल पिकैडिली मॉल, सेक्टर 34 चंडीगढ़  , आपके अच्छे स्वास्थय की कामना करते हैं और आपको यह सलाह देते हैं की अगर आपको दांतों की कोई भी तकलीफ है तो उसे जल्द से जल्द किसी नज़दीकी डेंटिस्ट को दिखाएं। अन्यथा आप हमें कॉल कर सकते हैं. हमारा मोबाइल नंबर है 81461 63406.
आपकी हितैषी
डॉ तरीका मदान
धन्यवाद।

दांतों की बिमारियों से कैसे बचें



 दांतों की बिमारियों से कैसे बचें


हेलो दोस्तों,
मेरा नाम डॉक्टर दिशा सिंह है और मैं
ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल में काम करती हु।
आज मैं आपके सामने कुछ जानकारी शेयर करने आयी हु।
जैसा की आप सभी जानते हैं, भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज भी दांतों की तकलीफों को काफी नज़रअंदाज किया जाता है। दांतों की समस्या इसी तरह बढ़ती चली जाती है और एक टाइम ऐसा आता है जब दांत को इलाज द्वारा बचाने का खर्च इतना बढ़ जाता है की आपके पास उस दांत को निकलवाने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचता। दांतों की ज़्यादातर समस्याएं दांतों में ठंडा लगने से शुरू होती है। ठंडा लगना यूँ तो एक बहुत मामूली तकलीफ है परन्तु आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है की तकरीबन बयालीस करोड़ लोग इससे ग्रसित हैं। इसका मतलब समझते हैं आप? अगर हर एक व्यक्ति महीने में सिर्फ एक टूथपेस्ट ख़रीदे जो यह दावा करता है की इससे ठंडा लगना कम हो जाएगा और हर एक टूथपेस्ट की ट्यूब पर उसे बनाने वाली कंपनी की आमदनी सिर्फ एक रुपया ही मान लें, तो आपकी इस तकलीफ से टूथपेस्ट कंपनी को हर महीने ४२ करोड़ रुपये का मुनाफा है। और आप बहुत अच्छे से जानते हैं की एक टूथपेस्ट से मुनाफा सिर्फ १ रुपया हो ऐसा नहीं हो सकता। यही कारन है की आज बाजार में ऐसे टूथपेस्ट की बाढ़ आ गयी है जो यह दावा करती है की यह आपको सेंसिटिविटी से आराम दिलाएगी।
अब आपको सेंसिटिविटी के कारणों के बारे में थोड़ा बतलायी दें। दांतों की दो परतें होती हैं। सबसे बाहरी इनेमल और उसके अंदर डेंटिन. अनेकों कारणों की वजहों से कई बार इनेमल घिस जाता है और डेंटिन एक्सपोज़ हो जाता है। डेंटिन के अंदर नसें होती हैं जिनकी वजह से आपको ठंडा या गर्म लग सकता है। और एक बात आपको गाँठ बात लेनी हैं की दुनिया में ऐसी कोई दवायी या टूथपेस्ट नहीं बनी जो इस घिस चुके इनेमल को दुबारा बना दे। इस घिसे इनेमल को दुबारा बनाने का सिर्फ एक ही तरीका है वो है एक डेंटिस्ट एक पास जाकर उसकी फिलिंग करवाना। 


जब हमें दांतों में ढंडा लगना शुरू होता तो हम केमिस्ट के पास जाकर ऐसे टूथपेस्ट लेकर आ जाते हैं और बेफिक्र हो जाते हैं। ये टूथपेस्ट आपको सेंसिटिविटी से आराम तो दिलाते हैं पर यह इलाज नहीं है। अगर आपको पेट में दर्द हो और आप पेन किलर खा लो तो यह इलाज नहीं है, यह सिर्फ आपको दर्द से आराम दिलाता है। जबकि असली बिमारी हर दिन बढ़ती चली जाती है। ठीक इसी तरह दांतो की तकलीफ भी बढ़ती चली जाती है और जो चीज़ सिर्फ १००० रुपए से ठीक हो सकती थी अब आपको या तो १०००० खर्च करने पड़ेंगे या नहीं तो दांत निकलवाना पड़ेगा। आपको यह भी बता दूँ की अगर आपने दांत निकलवाने का निर्णय लिया तो भी आपके पास एक दुविधा रहेगी. पहली दांत निकलवाने के बाद दूसरा नकली दांत लगवाए या उस खाली जगह को ऐसे ही खाली रखें। अगर आपने दूसरा नकली दांत लगवाने का निर्णय लिया तो डेंटल इम्प्लांट १५००० से ५०००० के बीच कॉस्ट करते हैं और तो और एक छोटा सा ब्रिज भी १५००० से ऊपर ही कॉस्ट करेगा। हाँ आपके पास एक सस्ता ऑप्शन यह है की आप दांत लगवाएं ही नहीं। परन्तु इसके बहुत नुक्सान हैं। पहला यह की जब दांत निकल जाते हैं तब दांतों के बीच का कसाव काम हो जाता है। इसके कारण दो तीन वर्षों में सारे दांत ढीले हो जाते हैं। जब एक दांत नहीं रहता तो उसके ऊपर या नीचे वाला दांत भी ख़राब हो जाता है। हम इंसान हैं और हमारे खाने की पाचन प्रक्रिया हमारे मुँह से शुरू होती है। जब हम खाने को अच्छे से चबाते हैं तो हमारे थूक में मौजूद एक रसायन, सलाईवरी एमाइलेज, खाने को पचने की प्रक्रिया शुरू करता है। अगर आपके दांत न हो तो यह प्रक्रिया ठीक से नहीं होता जिससे आपको अपच और पेट और आँतों की समस्या हो सकती है। हमारे दांत लगभग सौ किलो का वजन डालते है जब हम खाने को चबाते हैं। आप खुद समझदार हैं की अगर एक भी दांत काम हो जाए तो इस वजन के कारण आपके जबड़ों पर कितना दुष्प्रभाव पड़ेगा। 
इसका हल क्या है?
१. हर छह महीने पर अपने दांतों की जांच कराएं
२. अगर आपके दांतों में ठंडा या गर्म लगता है तो टूथ पेस्ट का सहारा नहीं अपितु डेंटिस्ट का सहारा लें।
३. दांतों की समस्या को गंभीरता से लें।
स्वस्थ दांत अगर हो तो खाने का मज़ा तो आता है ही परन्तु आप भी सुन्दर दीखते हैं और आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। एक रिसर्च से पता चला है की अच्छे दांतों वाले लोग ख़राब दांतों वाले लोगों से ५ साल ज़्यादा जीते हैं और और वो ज़्यादा सफल भी होते हैं।
हम, ओडोन्टोस डेंटल हॉस्पिटल जीरकपुर , आपके अच्छे स्वास्थय की कामना करते हैं और आपको यह सलाह देते हैं की अगर आपको दांतों की कोई भी तकलीफ है तो उसे जल्द से जल्द किसी नज़दीकी डेंटिस्ट को दिखाएं। अन्यथा आप हमें कॉल कर सकते हैं. हमारा मोबाइल नंबर है ७९८६४३३५११.
आपकी हितैषी
डॉ दिशा सिंह
धन्यवाद।

Singh Couple from Mohali awarded Doctorate in Social Service by WHRPC at India International Centre Lodhi Road New Delhi

The Indian chapter of the World Human Rights Protection Commission (WHRPC) has honoured Human Rights & Social Activist couple Shri Suren...